- 92 Posts
- 249 Comments
अम्मा – मुझको डर लगता है
जो पल गुज़रे तेरे संग अम्मा
फिर से उनको कैसे जी लूं,
पलकें झिलमिल हो जाती है
दिल में यादें कैसे सी लूं,
जो बहते हैं तेरी यादों में
अब उन अश्कों को बहने दो,
ज़ो कह न सका वो लफ्ज़ हैं ये
अश्कों की ज़ुबां से कहने दो,
कोई दिल की पर्त उठाता हूं
मेरा कल तो तू ही दिखती है,
कहीं दूर खुदा के घर से तू
मेरा आज भी तू ही लिखती है,
सुधरें और अर्श को छू लें हम
तूने मारे तक चिमटे, समसी,
कभी खुद भी साथ रही भूखी
कभी आँख तूने अपनी नम की
वो डाँट तेरी, तेरी सीखें
मुझे आज भी राह दिखाती हैं,
वो निगेहबान तेरी नज़रें
मेरे पीछे अब भी आती हैं,
ए काश कि माँ फिर आ जाओ
तेरे आँचल में मैं छुप जाऊँ,
पहले जैसा तेरी गोद में माँ
निश्चंत होकर के सो जाऊं,
जैसे मम्मा इस दुनिया में
तुम लेकर मुझको आयीं थीं,
मेरे बचपन की मुश्किल राहें
तुने गोद में पार करायीं थी,
जब जाने का हो वक़्त मेरा
मेरी उंगली पकड्ने आ जाना,
मुझको अब भी डर लगता है
बस अंतिम साथ निभा जाना,
गोपाल जी
Read Comments