MyVision-With the Life and Religion
- 92 Posts
- 249 Comments
माँ को शब्दों में व्यक्त करूं
इतने मुझमें ज़ज्बात नहीं,
भाषा, स्याही और कलम की भी
विश्वास है ए औकात नहीं,
मेरी माँ क्या है मेरे लिए
लिखना ही हास्यास्पद होगा
माँ साक्षात् खुद ईश्वर है
कोई ईश्वरीय सौगात नहीं,
गोपालजी
अपनी माँ को दिये दर्द का कोई प्रायश्चित नहीं होता
उसकी पीड़ा भोगनी ही पड़ती है
गोपालजी
Read Comments